काश वो समझते इस दिल की तड़प को,
तो यूँ हमें रुसवा ना किया होता,
उनकी ये बेरुखी भी मंज़ूर थी हमें,
बस एक बार हमें समझ लिया होता|
जिसने हमको चाहा, उसे हम चाह न सके,
जिसको चाहा उसे हम पा न सके,
यह समजलो दिल टूटने का खेल है,
किसी का तोडा और अपना बचा न सके!
सोचता हूँ सागर की लहरों को देख कर,
क्यूँ ये किनारे से टकरा कर पलट जातें हैं,
करते हैं ये सागर से बेवफाई,
या फिर सागर से वफ़ा निभातें हैं|
लोग अपना बना के छोड़ देते हैं,
अपनों से रिशता तोड़ कर गैरों से जोड़ लेते हैं,
हम तो एक फूल ना तोड़ सके,
नाजाने लोग दिल कैसे तोड़ देते हैं|
हम तो जी रहे थे उनका नाम लेकर,
वो गुज़रते थे हमारा सलाम लेकर,
कल वो कह गये भुला दो हुमको,
हमने पुछा कैसे!
वो चले गये हाथो मे जाम देकर.
चाँद का क्या कसूर अगर रात बेवफा निकली,
कुछ पल ठहरी और फिर चल निकली,
उन से क्या कहे वो तो सच्चे थे,
शायद हमारी तकदीर ही हमसे खफा निकली|
अगर वो मांगते हम जान भी दे देते,
मगर उनके इरादे तो कुछ और ही थे,
मांगी तो प्यार की हर निशानी वापिस मांगी,
मगर देते वक़्त तो उनके वादे कुछ और ही थे|
बनाने वाले ने दिल काँच का बनाया होता.
तोड़ने वाले के हाथ मे जखम तो आया होता.
जब बी देखता वो अपने हाथों को,
उसे हमारा ख़याल तो आया होता!
बेदर्द दुनिया में अभी जीना सीख रहा हूँ,
अभी तो मैं दुखों के जाम पीना सीख रहा हूँ,
कोशिश करूंगा तुम्हे मैं भी भुलाने की,
अभी तो मैं तेरे झूठे वादों को भुलाना सीख रहा हूँ|
पलकों पे आंसू न लाया कीजियेदिल की बातें हर किसी को न बताया कीजियेमुठी में नमक लिए फिरते हैं यह लोगअपने ज़ख़्म हर किसी को न दिखाया कीजिय
बिन बात के ही रूठने की आदत है;
किसी अपने का साथ पाने की चाहत है;
आप खुश रहें, मेरा क्या है;
मैं तो आइना हूँ, मुझे तो टूटने की आदत है!