दो मारवाड़ी लुगाया…
आपस में बात कर रही थी ।
पहली बोली..
म्हारो तो पति देवता है ।
दूसरी बोली..
म्हारा तो हाल जीवता है ।
😳😳😳😝😝😝😜😜
\”मारवाड़ी\” भच्चीड़
🌻
एक बार महाराष्ट्र का एक गुरूजी की नौकरी राजस्थान में लग गई..
राजस्थान में रहते हुऐ गुरूजी को कई साल हो गये..
और गुरूजी को मारवाड़ी भाषा का काफी ज्ञान हो गया
और वो बच्चों से बोले \”मने पूरी मारवाड़ी आवे लागी है\”
छोरा बोल्या – गुरूजी मारवाड़ी तो म्हाने भी पूरी कोनी आवे, तो थे कठेऊ सीख गया..?
गुरूजी बोल्या – मने तो पूरी आवे है ..थे कीं पूछ सको हो..?
छोरा – लगाओ 500 की शर्त………
गुरूजी शर्त लगा ली..
एक दिन गुरूजी सुबह सुबह जंगळ जा कर आया।
टूंटी पर हाथ धोवा हा कि टींगर बोल्या,
गुरूजी दियाया भचीड़..?
गुरूजी सोच्यो फ्रेश होर आणा न ही भचीड़ केवे है..बे बोल्या-
\”हाँ भाई दियायो भचीड़\”
बात आई गई हूगी
दोपारां बोर्डिंग मेस में खीर बनाई..
एक कानी गुरूजी.. दूसरी कानी छोरा बैठा जीमण ने
गुरूजी बोल्या – भाई खीर की खुशबू तो घणी सांतरी आवे है ..लागे है खीर जोरदार बनी है
छोरा बोल्या – \”पछ देखो काई हो गुरूजी..दयो भचीड़\”
गुरूजी सोच्यो खीर खाने ने भी भचीड़ ही केवे है शायद
शाम को मैदान में रस्सा कसी को खेल चाल रियो हो
गुरूजी एक छोर रस्से को पकङकर उभा हा
बठीनू छोरा आया और बोल्या कांई करो गुरूजी..?
गुरूजी–भाई रस्सा खेंच प्रतियोगिता चालू है
छोरा–पछे देखो कांई हो गुरूजी..
दयो भचीड़
गुरूजी रस्से ने खींची..तो बा टूट गी और गुरूजी क लागी खोपड़ी म।
…….छोरा बोल्या – \”गुरूजी खा लियो न भचीड़\”
गुरूजी बोल्या.. \”सुबह से हर बात म एक ही बात ..भचीड़ भचीड़ भचीड़ \”
छोरा बोल्या गुरूजी म्हे पेली ही आपने कियो कि
मारवाड़ी भाषा ने कोई नई समझ सक है तो देवो 500 रिप्या ..
गुरूजी दुखी मन स दिया.
छोरा फेर बोल्या। तो आ है मारवाड़ी गुरूजी.. लाग ग्यो न 500 को भचीड़ ..💥⚡💥⚡💥⚡✨🌩🌩🌩🌩
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गुरूजी बेहोश
राजस्थान में गणेशोत्सव संपन्न हुआ और श्री गणेश जी कैलाश पर्वत पर पहुँचे।
माता पार्वती ने पूछा—” कैसा रहा उत्सव का माहौल ? ”
गणेश जी—” ऐ मोरुडा फागण मिने मिठो मिठो बोलियो रे।।।। “😝😝😝😝
माता पार्वती—” अरे, ये क्या बोलते हो ? ”
गणेश जी—” अरे अमलिडो अमलिडो अमलिडो भोलो सन्ता ने लागे वालो अरे नाग तिरस् वा वालो ओ बाबो भोलो अमलीडो ।।।।” 😂😂😂😂
रिद्धी —” अरे, ये क्या है ??? ”
गणेश जी—” ले नाच.. ले नाच.. ले नाच मारी बींदणी भंडारा में डीजे बाजे नाच …..” 😆😆😆😆😆
सिद्धि — अरे किया हुआ स्वामी ?????
गणेश जी — ओ ढकण खोल दे .. ऐ ढकण खोल दे कलाली थारी बोतल को दारू रे पियाला मैं तो थारे घर को।।।
😜😜😜😜😜😜
शंकर जी—” ……आजकल टाबरा ने राजस्थान भेजण रो ज़मानो ही कोनी रियो। ” 😃😄😀😜😜😜😀😀😀