“एडमिन को गीता ज्ञान
हे ग्रुप निर्माता ! तु व्यर्थ ही चिंता करता हैं…
तु क्या ले कर आया था इस ग्रुप में?
तु क्या ले कर जायेगा…..?
तेरा क्या था इस ग्रुप में?
तुने जो लिया इन ग्रुप के सदस्यों से लिया…
जो दिया इस ग्रुप के सदस्यों को दिया…..
तेरा तो इस ग्रुप में कुछ है ही नहीं….
यहा जो पोस्ट होती हैं
यहा जो संदेश आते हैं
तेरा उन पर कोई अधिकार नहीं
तु व्यर्थ ही उन पोस्ट पर हाहा हीही करता हैं
तु व्यर्थ ही निर्माता बना बैठा है
जिस प्रकार नेट ना हो तो फेसबुक और वाट्स ऐप का कोई महत्व नहीं
उसी प्रकार ग्रुप के सदस्यों के बिना तेरे ग्रुप का कोई महत्व नहीं….
ग्रुप के सदस्यों के कारण ही तु ग्रुप का निर्माता बना हुआ है
ग्रुप में सदस्य ना रहे तो तु क्या करेगा
किसके पोस्ट को रिमुव कर के खुद को उच्च समझेगा?
तु ग्रुप का महज एक निर्माता है…
तु खुद कोई ग्रुप नहीं है…
ये जो सदस्य आज तेरे ग्रुप के है,
ये कल किसी और ग्रुप के थे,
कल फिर किसी और ग्रुप के होंगे…
इसीलिए हे निर्माता…!! तु समय-समय पर उन्हें पार्टी दिया कर
फिर देख… इन ग्रुप के सदस्यों का तु और ये सदस्य भी तेरे….